Tuesday 13 March 2012

पैसा

नन्हे मुन्नों का बचपन खो रहा पैसा,
भूखो से रोटी छीन रहा पैसा,
इंसानियत भी खो रहा पैसा,
खून के रिश्तो में दरार ला रहा पैसा
हर रिश्ते को मिटाने का कारण बना पैसा,
गरीबो के लिए अभिशाप बन रहा है पैसा ,
अमीरों के लिए वरदान ला रहा पैसा,
देश मे दंगे फसाद की जड़ है पैसा ,
हर जगह भ्रष्टाचार को बढ़ा रहा पैसा,
कंही ख़ुशी तो कंही गम ला रहा पैसा,
दिन पे दिन हत्याएं करवा रहा पैसा,
देश की उन्नति मैं रुकावट है ये पैसा,
जब जन्मा था इन्सान जमीं पे तो कंहा था उसके साथ पैसा,
जब गया धरती को छोड़कर तब कितना ले जा पाया इन्सान पैसा,
आखिर क्यूँ करता है हमारा जीना दुशवार ये  पैसा , 
कंहा से आया कंहा को गया ये पैसा ,

आखिर क्यूँ  है हर जगह ये शोर पैसा पैसा पैसा 
 स्वरचित नेहा सिंह 
(१३-३-12)
 

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