Saturday 14 April 2012

बोल

एक दिन बिक जायेगा माती के मोल जग में रह जायेंगे प्यारे तेरे बोल दूजे के होठो को देकर अपने गीत कोई निशानी छोड़ फिर दुनिया से डोल ये गाना तो सबने सुना ही होगा और ये बिलकुल सही भी हैं । क्योंकि हम अपने जीवन में हर तरह की बातें करते हैं । और बातें वो चीज होती हैं जो इंसान जिंदगी भर याद रखता है । तो हमे सभी से प्यार से बात करनी चाहिए ताकि हमारे सामने ही नहीं हमारे बाद भी लोग हमे याद करें। मानव शरीर तो एक दिन नष्ट हो जायेगा । और माती के मोल बिक जायेगा मति से आया था माटी में मिल जायेगा । इसलिए हमे अपनी बातो के जादू से लोगो को खुश रखना चाहिए । और अगर आपने ये गाना नहीं सुना है तो अभी अपना डी. वि. डी. ओं करिए और प्ले करिए ये गाना ............
अब आपको ये भी नहीं पता होगा कि ये गाना किस मोवी का है तो हम बता देते हैं

फ़िल्म - धरम-करम (१९७५)
*
गायक/गायिका - मुकेश
* संगीतकार - आर डी बर्मन
*
गीतकार -मजरूह सुल्तानपुरी


इक दिन बिक जाएगा, माटी के मोल
जग में रह जाएंगे, प्यारे तेरे बोल(3)

दूजे के होंठों को, देकर अपने गीत
कोई निशानी छोड़, फिर दुनिया से डोल
इक दिन बिक जायेगा ...

ला ला ललल्लल्ला

(अनहोनी पग में काँटें लाख बिछाए
होनी तो फिर भी बिछड़ा यार मिलाए ) - (२)
ये बिरहा ये दूरी, दो पल की मजबूरी
फिर कोई दिलवाला काहे को घबराये, तरम्पम,
धारा, तो बहती है, बहके रहती है
बहती धारा बन जा, फिर दुनिया से डोल
एक दिन ...

(परदे के पीछे बैठी साँवली गोरी
थाम के तेरे मेरे मन की डोरी ) - (२)
ये डोरी ना छूटे, ये बन्धन ना टूटे
भोर होने वाली है अब रैना है थोड़ी, तरम्पम,
सर को झुकाए तू, बैठा क्या है यार
गोरी से नैना जोड़, फिर दुनिया से डोल
एक दिन

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