Saturday 21 April 2012

पृथ्वी दिवस

आज पृथ्वी दिवस है। यदि यह खबर अखबारों में नहीं छपती तो शायद ही किसी को याद भी आता! जागरूकता जगाने से पहले याद दिलाने की जिम्मेदारी भी समाचार माध्यमों को ही उठाना प़ड़ती है। क्योंकि दुनिया भर में हर साल 22 अप्रैल को मनाया जाने वाला पृथ्वी दिवस अब महज औपचारिकता से ज्यादा कुछ नहीं बचालेकिन शायद बहुत सारे लोग ऐसे हैं जो ये नहीं जानते की आज उसी का जन्मदिन है जिस पर हम रहते हैं ।सच  कहूँ तो कल तक मुझे भी ये नहीं पता था अगर कल एक पत्रकार हमारे कॉलेज मैं नहीं आती तो मैं भी आज ही जान पाती पर ये मेरी किस्मत है की मुझे पता चल गया आज मैं भी कुछ अपनी धरती माता के लिए कुछ करुँगी ।जब पूरी दुनिया 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस मनाती है, अमेरिका में इसे वृक्ष दिवस के रूप में मनाया जाता है। पहले पूरी दुनिया में साल में दो दिन (21 मार्च और 22 अप्रैल) पृथ्वी दिवस मनाया जाता था। लेकिन 1970 से 22 अप्रैल को मनाया जाना तय किया गया। ये जीवन दायिनी धरती माँ हमें सब कुछ देती रही है और आज भी दे रही है. लेकिन जब हम उसके पास कुछ बचने दें. उसके श्रृंगार वृक्षों को हमने उजाड़ दिया, उसके जल स्रोतों को हमने इस तरह से दुहा है कि वे भी अब जलविहीन हो चले हैं. इसके गर्भ  में इतने परीक्षण  हम कर चुके हैं कि उसकी कोख अब बंजर हो चुकी है. अब भी हम उसके दोहन और शोषण से थके नहीं हैं. अब भी हम ये नहीं सोच पा रहे हैं कि जब ये नहीं रहेगी तो क्या हम किसी नए ग्रह  की खोज करके उसपर चले जायेंगे. जैसे की गाँव छोड़ कर शहर आ गए. वहाँ अब कुछ भी नहीं रह गया है - खेतों को बेच कर मकान बनवा लिए. अब खाने की खोज में शहर आ गए. कुछ न कुछ करके गुजारा कर लेंगे.

Animated Earth - It's In Our Hands
जब पूरी दुनिया 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस मनाती है, अमेरिका में इसे वृक्ष दिवस के रूप में मनाया जाता है। पहले पूरी दुनिया में साल में दो दिन (21 मार्च और 22 अप्रैल) पृथ्वी दिवस मनाया जाता था। लेकिन 1970 से 22 अप्रैल को मनाया जाना तय किया गया।
इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि पृथ्वी दिवस को लेकर देश और दुनिया में जागरूकता का भारी अभाव है! सामाजिक या राजनीतिक दोनों ही स्तर पर इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाए जाते। कुछ पर्यावरण प्रेमी अपने स्तर पर कोशिश करते रहे हैं, किंतु यह किसी एक व्यक्ति, संस्था या समाज की चिंता तक सीमित विषय नहीं होना चाहिए! सभी को इसमें कुछ न कुछ आहुति देना पड़ेगी तभी बात बनेगी।

पृथ्वी के पर्यावरण को बचाने के लिए हम ज्यादा कुछ नहीं कर सकते, तो कम से कम इतना तो करें कि पॉलिथीन के उपयोग को नकारें, कागज का इस्तेमाल कम करें और रिसाइकल प्रक्रिया को बढ़ावा दें! क्योंकि जितनी ज्यादा खराब सामग्री रिसाइकल होगी, उतना ही पृथ्वी का कचरा कम होगा।


Wednesday 18 April 2012

THE POSITIVE SIDE OF LIFE:

 

Image DetailLiving on Earth is expensive,
but it does include a free trip
around the sun every year.
How long a minute is
depends on what side of the
bathroom door you're on.

Birthdays are good for you;
the more you have,
the longer you live.

Happiness comes through doors you
didn't even know you left open.


Ever notice that the people who are late
are often much jollier
than the people who have to wait for them?

Most of us go to our grave
with our music still inside of us.


If Wal-Mart is lowering prices every day,
how come nothing is free yet?


You may be only one person in the world,
but you may also be the world to one person.


Some mistakes are too much fun
to only make once.

Don't cry because it's over;
smile because it happened.


We could learn a lot from crayons:
some are sharp, some are pretty,
some are dull, some have weird names,
and all are different colors....but
they all exist very nicely in the same box.


A truly happy person is one who
can enjoy the scenery on a detour.


Have an awesome day, and
know that someone
who thinks you're great
has thought about you today!..

जरा हँस लीजिये जनाब

बजट और अप्रैल

      
अरे भागवान सुनती हो, वो दिन अब ज्यादा दूर नहीं है, मैंने पत्नी से कहा तो वे रसोई से झुंझला कर बोलीं, अजी कौन सा दिन? पहली अप्रैल की तो नहीं कह रहे। अब मैं बेवकूफ बनने वाली नहीं हूं। यह मूर्ख दिवस आपको मुबारक।
भला तुम्हें बेवकूफ कौन बना सकता है? पूरा देश मूर्ख बनने वाला है, मैंने कहा।
कुछ साफ बताओगे भी या यों ही पहेलियां बुझाते रहोगे। मैं पहली अप्रैल को कई बार बेवकूफ बन चुकी हूं। अब मैं आपकी बातों में आने वाली नहीं। पिछले साल आपने पहली अप्रैल को ही तो मुझे मॉल भिजवा दिया था, यह कहकर कि मेरा पांच लाख की ज्यूलरी का ईनाम निकला है। मैं दौडी चली गई थी और आप आराम से कॉफी पीते रहे थे। मुझे मुंह लटका कर लौटा देख कितने हंसे थे आप! पत्नी ने कहा तो मैं बोला, सुनो श्रीमती रजनी शर्मा, बजट आया है, पूरे देश को मूर्ख बनाने वाला। आम आदमी को राहत देने वाला। हर चीज सस्ती मिलेगी। सुना है इस बार कॉस्मेटिक्स पर कोई कर नहीं लगाया गया है। केवल बिजली का बिल महंगा हुआ है। उसका भुगतान मुझे करना है, सो आपको चिंता करने की जरूरत नहीं।
बजट और अप्रैलतो आप बजट की बात कर रहे हैं। बजट के नाम पर जनता को ही मूर्ख बनाती है सरकार। करों के कोडे लगाकर एरोप्लेन सस्ते कर देती है। वरना रेल किराया तो बढ ही गया है।
अजी देवी जी, अप्रैल तो होता ही है मूर्ख बनाने के लिए। सारे नए टैक्स अप्रैल से लागू हो जाते हैं और हम महंगाई की चक्की में पिसकर चटनी बन जाते हैं। मैंने कहा तो श्रीमती जी रसोई से निकलकर ड्राइंग रूम में आ गई, देखो जी, बस से आया-जाया करो। पेट्रोल के दाम हर तीसरे दिन बढ जाते हैं, ऐसे स्टेटस में क्या रखा है?
लेकिन यह क्यों भूल जाती हो श्रीमती जी अबकी बार इनकम टैक्स में अच्छी-खासी छूट दी गई है। हमें सरकार के किसी कदम की सराहना तो करनी पडेगी। मैंने कहा तो श्रीमती जी ने नहले पर दहला मारा, अजी यह तो चुनाव के लिए कर्मचारियों का वोट बैंक पक्का करने का तरीका है। सरकार देखो न कितनी जल्दी डीए बढाती है, ताकि सरकारी कर्मचारी आगामी चुनाव में उसके ही होकर रह जाएं। आपको पता है, आटा-दाल का भाव? चीनी की मिठास कडवी हुई जा रही है। आप हैं कि मूर्ख बनाने वाली सरकार के पक्ष में कसीदे पढ रहे हैं।
लेकिन आटा-दाल ही तो जीवन नहीं है। एसी सस्ते हुए हैं। अब हम इस पंखे से निजात पाकर एसी लगवा सकेंगे!
बिजली का बिल पांच हजार का भरोगे तो नानी याद आ जाएगी। चले हैं एसी की ठंडक लेने! कल कहोगे, फोर व्हीलर सस्ते हो गए तो क्या मेरे लिए फोर व्हीलर ला दोगे?
क्यों नहीं, फोर व्हीलर का लोन आधे घंटे में मिलता है।
और उसकी बढी हुई ब्याज दर?
इस तरह तो हम पेट्रोल भी कार में नहीं भरा पाएंगे। मैं तो भाई कर्ज का घी पीने का आदी हूं। यह जीवन आनंद लेने का है। कंजूसी करके तो हम कभी जीवन का आनंद ही नहीं ले पाएंगे। सच मैं टिंकू को स्कूटर पर छोडकर आता हूं तो शर्म आती है। टिंकू फोर व्हीलर में जाएगा तो हमारा रौब नहीं बढ जाएगा? मैंने अपनी टीस बताई तो श्रीमती जी भभकीं, पहले उसके स्कूल की फीस तो चुका दो। दिन में सपने देखना बंद करो। यथार्थ को देखो, उसका धरातल कितना कठोर है। एक मेहमान आ जाता है तो माथा खराब हो जाता है। उसे भगाने के लिए कितने उपाय करते हैं और जाने पर प्रसाद चढाते हैं।
सर्दियों में तुम्हारा भाई पंद्रह दिनों के लिए आया था, तो क्या हमने उसे भगा दिया था? बेकार की बातें मत किया करो।
बेकार की बातें तो आप कर रहे हैं। खबरदार जो मेरे भाई का नाम जबान पर लाए तो। वह तो मेरा भाई है। वह तो समर वेकेशन में फिर आएगा। क्या वह मेहमान हो जाएगा?
झगडो मत देवी जी, तुम्हारा भाई मेहमान है मेरे लिए। उसके खर्चे झेलना मेरे बजट में नहीं है। उसे अभी समझाओ, अपनी नौकरी के लिए अपने घर में रहकर कंपिटीशन की तैयार करे। यहां वह पिच्जा-बर्गर और आइसक्रीम का होकर रह जाता है। उसे घर का खाना कभी अच्छा भी लगता है? अभी भी समय है, हो सके तो उसे रोक लो। मैंने तो बहुत ही विनम्र भाव से कहा पर पत्नी तमतमा गई, कुछ तो लिहाज करो। आखिर वह मेरा भाई है। उसे बजट की दुहाई देकर रोक दूं? इतना कमाते हो। ऊपर की कमाई अलग से करते हो, फिर भी यह मरी महंगाई मेरे भाई के नाम लिख देते हो!
नहीं, ऐसी बात नहीं है। अब ऊपर की कमाई में दम नहीं है देवी। आजकल लोग काम धौंस-पट्टी से कराते हैं। देखती नहीं, रिश्वत-कमीशन खाने वालों के छापे पड रहे हैं। क्या तुम यही चाहती हो कि एक दिन मेरा भी यही हाल हो? मैं भी थोडा क्रोध में बोला, तभी कॉलबेल बजी तो हम दोनों के हाथों के तोते उड गए- यह संडे मूड को चौपट करने कौन आ गया? मैंने दरवाजा खोला तो वर्माजी खडे मुस्कुरा रहे थे। मैं अचकचाकर बोला, आइये न, बाहर क्यों खडे हैं।
वर्मा जी ने सोफे में धंसते ही कहा, शर्मा, तुम्हारे यहां आकर मुझे बहुत चैन मिलता है। अमां यार, क्या नसीब पाया है। भाई इस मौज का राज हमें भी तो बताओ!
सब ऊपर वाले की मेहरबानी है। वरना सरकार ने तो कोई कसर छोडी नहीं है। डेयरी ने दूध के भाव बढा दिए और सरकार ने चीनी-चाय की पत्ती के। क्या करेगा साधारण आदमी।
वर्मा जी बेशर्मी से बोले, कुछ भी हो, चाय तो पीकर जाऊंगा। जरा ठंडा पानी तो लाओ। गला सूख रहा है। 
लेकिन यह क्यों भूल जाती हो श्रीमती जी अबकी बार इनकम टैक्स में अच्छी-खासी छूट दी गई है। हमें सरकार के किसी कदम की सराहना तो करनी पडेगी। मैंने कहा तो श्रीमती जी ने नहले पर दहला मारा, अजी यह तो चुनाव के लिए कर्मचारियों का वोट बैंक पक्का करने का तरीका है। सरकार देखो न कितनी जल्दी डीए बढाती है, ताकि सरकारी कर्मचारी आगामी चुनाव में उसके ही होकर रह जाएं। आपको पता है, आटा-दाल का भाव? चीनी की मिठास कडवी हुई जा रही है। आप हैं कि मूर्ख बनाने वाली सरकार के पक्ष में कसीदे पढ रहे हैं।
 
मैंने जवाब दिया, वर्मा जी, फ्रिज तो खराब है। पानी तो, घडे का ही पीना पडेगा।
अरे शर्मा, फ्रिज नया क्यों नहीं ले आते। डबल डोर बडा वाला लाओ, फ्रिज तो काफी सस्ते हैं। इस कबाडखाने को बदलो भाई। सुना है सरकार ने भी दाम गिराए हैं।
वर्माजी की बात सुनकर एक बार तैश तो आया, फिर अतिथि होने के नाते मैंने बाअदब कहा, देखिए वर्मा जी क्या-क्या बदलें, नए बजट ने राहत तो दी है, लेकिन कमर तोड दी है। बाजार में इतनी चीजें आ गई हैं कि उन्हें खरीदना मेरे जैसे आदमी के बूते से बाहर है।
इस बीच पत्नी पानी का गिलास लेकर आ चुकी थीं। वर्मा जी पानी गटक कर बोले, इस बार तो टिंकू फ‌र्स्ट आया है। अकेली चाय नहीं चलेगी। बिना मीठा मुंह किए मैं जाने वाला नहीं हूं।
वर्माजी की बात सुनकर मेरा कलेजा मुंह को आ गया। पत्नी ने मुझे देखा और मैंने उसे। पत्नी ही बोली, आप कहें तो वनस्पति घी का हलवा बना दूं।
वर्मा जी भी ढीठ हैं, हलुवे में बुराई क्या है, पर हलुवा वनस्पति घी में बनाना कुछ जमा नहीं। इतनी बडी खुशी में देसी घी का हलुवा ही ठीक रहेगा। वैसे भी वनस्पति घी स्वास्थ्य के लिए हानिकरक होता है।
हमारे लाख बहाने के बावजूद वे देसी घी का हलवा खाकर ही गए और जाते-जाते यह भी कह गए, क्या महंगाई का रोना रोते रहते हो। इतना कमाते हो। खाओ-पियो, ऐश करो। वर्मा जी तो अंतध्र्यान हो गए और मैं सोचने लगा, यह कोढ में खाज क्यों आया था।
पत्‍‌नी बोली, अब जाने भी दो। जो हुआ सो हुआ। बच्चे के फ‌र्स्ट आने की खुशी में हलुवा ज्यादा नहीं है। अप्रैल फूल तो हमें ही बनना था, सो बन गए।
मैं भी चुपचाप चादर तानकर सो गया, लेकिन नींद आंखों में नहीं थी। बार-बार वर्मा, सरकार और महंगाई का नक्शा घूम रहा था। आगे चाहे जो हो, पर मेरे घर का बजट तो पहली अप्रैल को समर्पित हो ही गया था।