Wednesday 28 March 2012

बेटी


 सपना था पर बना दिया सजा,
समझा नहीं किसी ने वो है फिजा,
 अपनों के बीच बना दिया बेगाना,
अपना सा आँगन लगे पराया,

आँगन में फूल खिलाती है बेटी,
रंगों से द्वार सजाती है बेटी,
दुःख नहीं सुख होती है बेटी ,

संवेदना थी बेटी बना दिया वेदना,
आस्था और वरदान थी पर बना दिया अभिशाप ,

उसका वजूद यूँ न मिटाओ,
जीवन का भर नहीं सहारा समझ अपनाओ,

सुख में थी वो साथ हर पल,
गम भी थी साथ वो बिन कहे साथ हर पल,

उलझी जिंदगी की सुलझन है बेटी,
गम के कांटे न समझो उनको सुख की कलियाँ है बेटी,

अनकही बात समझती है बेटी,
मदद को आपकी हर पल रहती तत्पर बेटी,

होती है हर हक़ की हक़दार बेटी ,
पर हक़ को न मांग प्यार मांगती है बेटी,

उनको सहेज कर रखना है तुम्हारा फर्ज ,
आँखों में आंसू नहीं लवो  पे ख़ुशी देना है तुम्हारा फर्ज,

आपकी आँखों का तारा होती बेटी,
जीवन अपना सेवा में बिताना चाहती,
जीवन उनका बोझ समझब न मिटाना कभी,
स्वरचित(*neha singh(22-3-12))
  


हवाई जहाज


आपने हवाई जहाज तो देखा ही होगा । शायद उसकी सैर भी की होगी और फिर उसमे सैर करने का मजा कौन नहीं लेना चाहता । लेकिन आप लोग जिस हवाई जहाज के बारे मैं सोच रहे हैं वो कुछ  ऐसा होता है.................. 



पर क्या आप सोच सकते है की १२ साल का एक बच्चा कागज का हवाई जहाज बनाएगा ।जी हाँ आज मैं दिखाती हूँ आपको कागज का हवाई जहाज
 बचपन में कागज के हवाई जहाज बनाकर आसमान में हम सभी ने उड़ाए होंगे। यहां की पीमा एयर एंड स्पेस म्यू-जियम ने ऐसे ही कागज के 363 किलो वजनी हवाई जहाज को आसमान में 4000 फीट ऊंचाई तक उड़ने में कामयाबी पाई है। इस कंपनी ने 45 फुट लंबा हवाई जहाज बना डाला। 24 फुट लंबे डैन वाले इस विमान को बनाने के लिए कंपनी ने एक प्रतिस्पर्धा कराई थी। इस प्रतिस्पर्धा का मुख्य उद्देश्य युवाओं और बच्चों में अपने हुनर को पहचानना और उन्हें नया करने की प्रेरणा देना था। जिसमें 12 साल के बच्चे ने इस प्रतिस्पर्धा को जीतकर इस हवाई जहाज को बनाने में अहम भूमिका निभाई है। इस हवाई जहाज का नाम भी बच्चे के नाम पर रखा गया है।

कागज का हवाई जहाज 

Sunday 25 March 2012

स्वार्थ और स्वार्थ



हमारा देश भारत कई सारी  संपदाओ के लिए विश्व विख्यात है, और हो भी कैसे न हमारे देश के महापुरुषों ने इतनी मेहनत जो की इसको सफल बनाने के लिए । क्या हम लोग भी अपने देश को सफल बनाने के लिए कभी कोई चिंतन या मनन करते हैं सबके अन्दर से यही जवाब होगा नहीं । आखिर क्यों ? नहीं करते हम देश के लिए कोई विचार ।

 क्योंकि आज हर तरफ स्वार्थ का बोलबाला है लोग स्वार्थ से इस तरह घिरे हुए हैं कि वो  सिर्फ और सिर्फ  अपने बारे में सोचते हैं । आखिर कब तक ये सब कुछ चलेगा क्यों आज लोग इतने स्वार्थी हो गए हैं । ये बात सही है कि लोगो कि जरूरतें इतनी हैं कि उनके पास खाली समय नहीं होता है । पर हमे उसके लिए समय हर हालत में निकालना होगा । सोचिये अगर ये देश न होता,ये समाज न होता, तो हम कंहा रहते?  हमारी जरूरतें कंहा से पूरी होती ।
अगर हम अपने समाज के लिए और देश के लिए कुछ करना चाहते हैं तो हमे स्वार्थ भावना और अहं को पूर्ण रूप से त्यागना होगा । क्योंकि अगर हम एक हाथ से लेते हैं तो हमें दूसरे हाथ से देना भी चाहिए ।

  हमारे देश में यूँ तो चार वेद है:
ऋग्वेद
सामवेद
यजुर्वेद
अथर्ववेद
जो हमे कुछ न सिख देते रहते हैं ,तो.................................

अथर्ववेद में एक कथन भी है कि शतहस्त समाहार , सहस्त्रहस्त संकिर
इसका मतलब है कि सौ हाथो से जोड़ो और हजार हाथो से बिखेरो जी हाँ अगर हम अपने समय में से एक प्रतिशत समय भी समाज या देश के लिए निकल लेंगे तो हम कुछ न कुछ तो कर ही सकते है । पर हमे सब कुछ स्वार्थ कि भावना को त्याग कर करना होगा । सोचिये अगर हम अपने हर हफ्ते में से एक घंटा या दो घंटे और किसी के लिए देंगे तो हमारी समाज सेवा बेहतर हो सकती है । आज हर इन्सान कुछ न कुछ कमाता है और वो अपने कुछ पैसे गरीब लोगो, बीमार लोगो, भूखे लोगो को मदद करने में इस्तेमाल करेंगे। तो उनका कितना भला होगा । बशर्ते कि वो काम निस्वार्थ कि भावना से करना चाहिए ।
क्योंकि अगर हम किसी के कुछ छोटा सा काम भी करते हैं और निस्वार्थ रूप से हो तो वो जीवन चेतना में एक महासागर जैसा है । लेकिन हम किसी को करोडो रूपये दान में देदें लेकिन वो दान स्वार्थ पूर्ण  हो। तो वो कार्य एक महासागर में एक पत्थर फेकने के जैसा है ।

क्योंकि इस जीवन में हर इन्सान इतना व्यस्त है जो कि अपने जीवन के अच्छे बुरे कार्यो में विभाजन करने में असमर्थ  है  । तो हमे कोई भी कार्य करने से पहले अपने मन से एहसान कि और स्वार्थ कि भावना को निकाल  देना चाहिए । क्योंकि अभी तो आप ऐसा करने में संकोच नहीं करते हैं लेकिन जब कभी आप इसके बारे में सोचेंगे। तो आप अपनी ही नजर में संकुचित हो जायेंगे।क्योंकि स्वार्थ की भावना से यदि हम कोई परोपकार  भी करेंगे तो किसी फायदे की इच्छा हमारे काम की महानता को खत्म भी कर देगी।  तो आप भले ही छोटा काम करें पर करें निस्वार्थ मन से और फिर आप धीरे धीरे देखेंगे कि आप  समाज की और लोगो की सेवा करने में सच्चा सुख पाने लग जायेंगे । क्योंकि इसके विपरीत हम निस्वार्थ भाव से काम करेंगे तो वो मैं हमारे भविष्य के लिए सकारात्मक परिणाम लेकर आएगी ।

अगर आपको इस बात का यकीन न हो पढ़िए आगे ये कहानी जो आपको सीधे सरल शब्दों मे बता देगी की मैं क्या कहना चाह रही हूँ ..
एक बार एक पेड़ पर एक चिड़िया का  घोंसला था उस घोंसले मे कुछ दिन बाद दो अंडे आ गए |फिर उसमे से दो प्यारे प्यारे बच्चे निकले । एक दिन जब चिड़िया और चिड़ा उनके खाने के लिए दाना लेने गए हुए थे । तो एक बच्चा घौंसले से निचे गिर गया । उसकी टांग टूट गयी । वंही पास  में दो घर थे एक घर में राहुल रहता था एक घर में सोनू रहता था । जब राहुल अपने घर आया तो उसने देखा की उस बच्चे की टांग टूट गयी है। राहुल ने बच्चे को उठाया और उसकी मरहम पट्टी कर दी। और फिर उसे घौंसले में वापस रख दिया ।
एक दिन जब वो बच्चा बड़ा हुआ तो उसने राहुल के निस्वार्थ भाव से किये गए उपकार को उतरने की ठान ली। एक दिन वो एक चावल का एक दाना लेकर राहुल के घर पंहुचा। उसने उसको वो दाना दे दिया और उससे कहा  यह तुम्हारे उपकार का बदला है । एक बार तुमने मेरी टूटी टांग जोड़ी थी। तुम इस दाने को  अपने घर के सामने गाढ़ दो ।फिर इसका परिणाम देखना।
राहुल ने वैसा ही किया पर वो दाना बोने के बाद भूल गया की उसने कोई दाना भी बोया था। लेकिन  एक दिन जब वो सुबह जगा तो उसने देखा की उस दाने ने एक ऐसा पोधा बनाया है जिसमे चावल नहीं सोना और हीरे जवाहरात लगे हुए हैं । वो सब कुछ समझ गया उसने सारा सोना बाजार में जाकर बेक दिया और एक सुखी जीवन की शुरुआत कर दी ।


यह सब देख कर उसका पडोसी भी उसके पास आया और उससे पूछने लगा ,कि ये सब कैसे हुआ? तो उसने चिड़िया वाली बात बता दी । फिर क्या था उसका शैतानी दिमाग काम करने लगा । उसके घर के पास भी एक घौंसला था।  

वो चुपचाप से पेड़ पर चढ़ गया और उसने चिड़िया के  बच्चे को गिरा दिया। फिर नीचे आकर उसे उठा लिया और उसकी मरहम पट्टी करके उसे वापस घोंसले में बिठा दिया। 
कुछ समय बिताने के बाद उसके पास भी एक चिड़िया आई और उसे एक चावल का दाना दे गयी।
और उससे कह गयी कि तुम्हारे उपकार का फल है । इस जमीं में बो दो । फिर इसका परिणाम देखना । और तुरंत वो दाना बो दिया । वो दिन रात उसका  इंतजार करने लगा उसका सारा ध्यान उसी पर रहता था । एक दिन जब वो सुबह जगा तो जिस जगह उसने बीज बोया था उस जगह एक आदमी खड़ा था । सोनू ने उस आदमी से पूछा कि तुम कौन हो तुम तो उसने कहा पिछले जन्म में तुमने जो कारज लिया था उसी का हिसाब लेने आया हूँ । राहुल को सारा धन उसको देना पड़ा

तो आया कुछ समझ कि स्वार्थ भाव से और निस्वार्थ भाव से कि गयी मदद क्या है ।

Friday 23 March 2012

दहेज़ रुपी कफ़न

क्या होता है रंग कफ़न का ,
यही कहेंगे हम उजला रंग होता है कफ़न का,
गाढ़ दिया मिटटी में पर रहा ज्यों का त्यों,

पुरुष हो या स्त्री सफ़ेद ही होगा कफ़न, 
पर देखा है इन आँखों ने लाल रंग का कफ़न,

थी एक अर्थी गुजरती  अन्दर था लाल जोड़ा ,
सपना था एक लड़की का दहेज़ रुपी कफ़न ने तोडा,

रोते हैं ज्यादा लड़की को जन्म  देने वाले,
 लेते जो हैं दहेज़ लड़की को ब्याहने वाले ,

जब गुजरी  अर्थी तो कफ़न नहीं था वो दुलहन का जोड़ा,
हाथो में थी मेहंदी पैरो में था माहवार थोडा ,

लड़की ने बाप ने दिया जो था दहेज़ थोडा,
उसी दहेज़ रुपी कफ़न ने जिंदगी का रुख मोड़ा    

सगाई टूटी और बारात भी न थी आई 
लड़की की आँखों में आंसू की लहर छाई,

बाप की बदनामी की चिंता लड़की को सताई ,
जाकर नदी किनार उसने छलांग लगाई,

दहेज़ रुपी कफ़न ने फिर एक और संख्या बढ़ाई,

डोली तो सजी नहीं अर्थी को सजा दिया,
मेहंदी की रंग की जगह खून का रंग चढ़ा  दिया ,

कहता किसको वो बाप अपनी व्यथा ,
बेटी के जाने के गम में बाप भी चल बसा,

कौन है जो सुनेगा हर गरीब की दास्ताँ,
मौन होकर समाज पत्थर की तरह है खड़ा ,

दहेज़ रुपी कफ़न ने लुटाया, जलाया, मिटाया, आशियाँ ,
क्यूँ नहीं है रहा है याद डर समाज को अपने फ़साने का,

लड़कियों से ही तो रोशन है जहाँ  तुम्हारा ,
लड़कियों का सौदा करना कान्हा का न्याय है तुम्हारा ,

नोट नहीं फूलों के हार पहनाना चाहिए,
बेटियों को बाग़ का फूल समझ अपनाना  चाहिए,

उठाना नहीं चाहिए फायदा गरीबों की लाचारी का,
बदल डालनी चाहिए ये प्रथा वास्ता  है सबको अपनी खुद्दारी का,

जिस दिन दहेज़  हद से बढ़ जायेगा ,
ये   धरती अम्बर स्थिर हो रुक जायेगा ,

तो  छेड़ दो लड़ाई दहेज़ रुपी कफ़न के खिलाफ,
अब लेना होगा दहेज़ लेने वालो से हर हिसाब.

स्वरचित  neha singh (21-3-2012)

Wednesday 21 March 2012

Three Things

  1. Three things to respect--Old Age, Religion, Law..
  2. Three things to admire-- Intellect, Beauty ,Music..
  3. Three things to cultivate--Sympathy, Cheerfulness, Contentment..
  4. Three things to govern-- Tongue, Temper, Action..
  5. Three things to prevent--Idleness, Falsehood,Wearness..
  6. Three things to watch--Love, Behavior, Character..
  7. Three things to avold--Drinking, Smoking, Gambling..
  8. Three things to Love--Honesty, Purity, Truth..

22-3-12

Tuesday 20 March 2012

पिता हैं तो



पिता जीवन हैं,  शक्ति हैं,
पिता सृष्टि में निर्माण की अभिव्यक्ति हैं ।


पिता उंगली पकडे बच्चे का सहारा हैं ,
पिता कभी कुछ खट्टा कभी खारा है।

पिता पालन है पोषण है परिवार का अनुशाशन है,
पिता धौंस से चलने वाला प्रेम का प्रशासन हैं।


पिता रोटी है, कपडा है, मकान है,
पिता छोटे से परिंदे का बड़ा आसमान हैं।

पिता अप्रदर्शित अंनंत प्यार है,
पिता है तो बच्चो को इंतजार है।

पिता से ही बच्चो के ढेर सारे सपने हैं,
पिता है तो बाजार के सारे खिलौने अपने हैं।

पिता से परिवार में  प्रतिपल राग है,
पिता से ही माँ के बिंदी और सुहाग है।

पिता एक जीवन को जीवन को जीवन का दान है,
पिता दुनिया दिखने का एहसान है।

पिता सुरक्षा है अगर सिर पर हाथ है,
पिता नहीं तो बचपन अनाथ है।

तो पिता से बड़ा तुम अपना नाम करो,
उनका अपमान नहीं उन पर अभिमान करो ।

क्योंकि माँ- बाप की कमी को कोई बाँट नहीं सकता ,
और ईश्वर भी उनके आशीर्वादों को काट नहीं सकता।

विश्व में  किसी भी देवता का स्थान दूजा है,
माँ - बाप की सेवा ही सबसे बड़ी पूजा है।

विश्व में किसी भी तीरथ की यात्रा व्यर्थ है,
यदि बेटे बेटी के होते माँ-बाप असमर्थ हैं।

वो खुशनसीब है माँ-बाप जिनके साथ होते हैं,
क्योंकि माँ बाप के आशीषो के हजारो हाथ होते हैं  

Monday 19 March 2012

समय का महत्व

हम सभी के जीवन में समय का बहुत महत्व है और हो भी क्यों नही आखिर समय से ज्यादा शक्तिशाली इस संसार में कुछ नहीं है। कितनी भी कीमती वस्तु हो लेकिन समय के आगे उसकी कोई कीमत नहीं होती है क्योंकि  समय अमूल्य होता है। हर मनुष्य के जीवन में समय अपने समय अपने सही समय पर दस्तक देता है अगर मनुष्य उस दस्तक को सुन लेता है तो वह अपने जीवन में सफल हो जाता है लेकिन अगर वो उस दस्तक को अनसुना और अनदेखा कर देता है तो उसके जीवन में पग-पग पर मुश्किलें आती हैं । और ऐसा तभी संभव हो सकता है जब हम अपना एक पल भी बर्बाद न करें और समय का सदुपयोग समय सारणी बना कर करें
 क्योंकि अगर हम पूरे दिन का या एक हफ्ते का कार्य समय निश्चित कर लें और उसी के अनुसार अपना हर काम करें तो हमारा समय भी बचेगा और हमारे जीवन में सफलता की गुंजाइश दिन प्रतिदिन बढती जाएगी। लेकिन अगर  हम अपना कार्य टालते रहेंगे या जब मन में जो आये वो करते रहेंगे तो उससे हमे सिर्फ असफलता ही हाथ लगेगी । हाँ ये बात सही है की हमे हर काम मन के मुताबिक करना चाहिए लेकिन हमेशा हम मन का काम करेंगे तो वो हमारे लिए घातक सिद्ध हो सकत है । क्योंकि एक कथन भी है ..................

मन का हो तो अच्छा मन का न हो तो और भी अच्छा ।
इसी बात के ऊपर कबीरदास जी का एक दोहा भी बहुत मशहूर है.........
काल करे सो आज कर
आज करे सो अब
पल में प्रलय होएगी
बहुरि करेगो कब।
तो हमे अपना हर कार्य समय पर करना चाहिए और समय की महत्वता को भी नजर अंदाज नहीं करना चाहिए ।
समय का सदुपयोग करना चाहिए क्योंकि ...............
     जो समय के मुले को समझता है वो दुनिया में मिला मिला रहता है।
उन्नति के पथ पर वह मनुष्य हमेशा खिला खिला रहता है ।


स्वरचित neha singh(19-3-2012)

Saturday 17 March 2012

difference between science and poetry



Science is objective,rigid, and fixed.
Poetry is both objective and subjective. It is not rigid or fixed rather it has got a bulk of variations.
Science is based upon facts and figures. Everything is clear and vivid in science due to rigid and fixed facts and figures.
Poetry is based upon emotions and imaginations, feelings and passions and reasoning power. Moreover some abstract and philosophical ideas are there in poetry which are not clear.
Science deals with the physical world and the things as they are.
Whereas poetry deals with physical world and that of imaginations and spirituality. And it deals with the things as they ought to be.
Science doesn't spiritualism the nature and beauty, it just observes it.
But poetry spiritualism the nature and not just observes it but takes a deep insight of it because poetry's main interest lies in beauty.
So, conclusively science is incomplete whereas poetry is complete.
By Wafa Mansoor ब

Friday 16 March 2012

लेना देना

कुछ पाकर कुछ देना जरुर
                                  नहीं तो ये  पृथ्वी रुक जाएगी
 

 हम सभी अपनी इस जिंदगी में कुछ न कुछ किसी न किसी से लेते जरुर हैं । और लें भी तो कैसे नहीं आखिर इस जिंदगी की इतनी जरूरते जो हैं और उन जरूरतों को पूरा करने के लिए हमे सभी से कुछ न कुछ लेना आवश्यक है ।वरना हमारी जिंदगी अधूरी होगी । जब हमने इस धरती पे जनम लिया था तो हम अपने साथ कुछ भी नहीं लाये थे। ये शरीर अकेला ही था, तब हमने अपने शारीर को ढकने के लिए कपडा लिया पेट भरने के लिए भोजन लिया, समाज में रहने के लिए ज्ञान लिया, पहचान बनाने के लिए नाम लिया, जीवन सुख पाने के लिए  सुविधाएँ ली लेकिन हमारा जीवन यंही तक सीमित नहीं रह गया इसके आगे भी हमने बहुत चीजें ली हैं और इन सबको लेने के लिए कुछ न कुछ दिया जरुर हैंअगर हम नहीं देते तो हमारी जिंदगी अधूरी होती ये पृथ्वी, ये समाज, ये देश, ये जीवन रुक जाता क्यूंकि ये जीवन ही लेना देना है या ये कहें की आना जाना है । हम सभी को कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है इसलिए हम जब भी किसी से कुछ लें तो उसे कुछ न कुछ जरुर दें अगर हम ऐसा नहीं करेंगे तो हमारा जीवन सार्थक नहीं होगा और इस जीवन की क्रियाएं रुक सी जाएँगी या ये कहें की ये जीवन रुक जायेगा ।
by neha singh (17-3-2012)

What is life?

What is life?

 

Life is a challenge                        Meet it

Life is a struggle                           Accept it

Life is a battle                               Fight it

Life is a problem                          Solve it

Life is a sorrow                            Over come it

Life is burden                              Carry it

Life is a tragedy                          Face it

Life is a duty                                Perform it

Life is a bless                                Take it

Life is a song                                 Sing it

Life is a dream                             Realise it

Life is a journey                           Complete it

Life is a promise                            Fill it

Life is a love                                   Enjoy it

Life is a beauty                               Praise it

Life is a adventure                         Dare it

Life is an opportunity                     Avail it

 

Thursday 15 March 2012

औरत

"अबला नारी हाय! तुम्हारी यही कहानी "
"आँचल में है दूध ,आँखों मैं है पानी"

आज हमारे समाज में औरतें कदम से कदम मिलकर चल रही या ये कह लीजिये की एक कदम आगे भी हैं ।
पर आज भी औरतो के ऊपर होते आ रहे अत्याचार रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं । चाहे वो किसी भी रूप में हो जैसे लड़के - लड़कियों में भेदभाव , बाल विवाह, अशिक्षा आदि ।
औरते चाहे कुछ भी कर लें पर फिर भी वो पुरुष की नजरो में उनसे छोटी ही रहती है । वो पल पल दर्द झेलती है पर उफ़ तक नहीं करती और उसके दुःख को सब लोग उसका व्यवहार समझ कर देते टाल हैं । और औरतों पे प्रत्यक्ष -अप्रत्यक्ष रूप से अत्याचार होते ही रहते हैं ।


औरत  
यंहा  औरत के दर्द को कोई समझता नहीं ,
दिन भर दुःख देते है पर दुःख हरता नहीं कोई,
सुख क्या होता है जाने नहीं शायद औरत कोई 
जो करते है जुलम औरतों पर उनकी जन्मदाती भी है औरत कोई ,
औरत पे अत्याचार कंही लोगो की फितरत तो नहीं कोई,
माँ, पत्नी, बहिन, बेटी है यंहा औरत हर पुरुष की कोई,
सिंदूर की खातिर सब कुछ गवाया पर उसकी कदर न जाने कोई,
पति की मौत पर यंहा औरत ही सती होई ,
पत्नी की मौत पर पति के घर है औरत और कोई,
इस संसार ने दिया उसको हर वक़्त दर्द वेह रोई,
यंहा औरत के दर्द को समझता नहीं कोई ,



स्वरचित नेहा  सिंह (15-3-2012)

A GUIDE TO SUCCESFUL LIFE

  • ü  If you want to eat, eat the anger.

  • ü  If you want to wear, wear the clothes of honesty.

  • ü  If you want to drink, drink the jealousy.

  • ü  If you want to obey, obey your parents, teachers and all elders.

  • ü  If you want to serve, serve your motherland.

  • ü  If you want to wash, wash your sins.

  • ü  If you want to pay, pay your duty.

  • ü  If you want to stop, stop your mind.

  • ü  If you want to control, control your over senses.

  • ü  If you want to give up, give up your bad habits.

  • ü  If you want to hate, hate the bad customs.

     date 15-3-2012


Tuesday 13 March 2012

पैसा

नन्हे मुन्नों का बचपन खो रहा पैसा,
भूखो से रोटी छीन रहा पैसा,
इंसानियत भी खो रहा पैसा,
खून के रिश्तो में दरार ला रहा पैसा
हर रिश्ते को मिटाने का कारण बना पैसा,
गरीबो के लिए अभिशाप बन रहा है पैसा ,
अमीरों के लिए वरदान ला रहा पैसा,
देश मे दंगे फसाद की जड़ है पैसा ,
हर जगह भ्रष्टाचार को बढ़ा रहा पैसा,
कंही ख़ुशी तो कंही गम ला रहा पैसा,
दिन पे दिन हत्याएं करवा रहा पैसा,
देश की उन्नति मैं रुकावट है ये पैसा,
जब जन्मा था इन्सान जमीं पे तो कंहा था उसके साथ पैसा,
जब गया धरती को छोड़कर तब कितना ले जा पाया इन्सान पैसा,
आखिर क्यूँ करता है हमारा जीना दुशवार ये  पैसा , 
कंहा से आया कंहा को गया ये पैसा ,

आखिर क्यूँ  है हर जगह ये शोर पैसा पैसा पैसा 
 स्वरचित नेहा सिंह 
(१३-३-12)