Friday 24 February 2012

माँ जैसा कोई नहीं


माँ से ज्यादा कोई दिल के पास है कंहा,
माँ से ज्यादा मेरे दिल पे कोई एहसास है कंहा,
माँ की आँखों में ही आँखे हैं  मेरी ,
माँ के ही दिल में धड़कन है मेरी ,
माँ की ही साँसों मैं है जीवन की डोरी,
माँ के बिना सबकी जिंदगी है अधूरी,



माँ से ज्यादा कोई दिल के पास है कंहा,
माँ से ज्यादा मेरे दिल पे कोई एहसास है कंहा,
सूना अम्बर, सूनी धरती, सूना है जंहा,
माँ के जैसा इस जंहा में, कोई दूसरा है कंहा,


चलना सिखाती है हमे माँ यंहा,
पढ़ना सिखाती है हमे माँ यंहा ,
खाना सिखाती है हमे माँ यंहा, 
पग पग बढ़ना सिखाती है माँ यंहा ,
जीने की राह सिखाती है माँ यंहा  ,

माँ से ज्यादा कोई दिल के पास है कंहा,
माँ से ज्यादा मेरे दिल पे कोई एहसास है कंहा,
माँ के बिन दुनिया दिखाती कंहा ,
माँ के बिन दुनिया बनती कंहा,
माँ के बिन अपना अस्तित्व है कंहा, 
माँ का ही ये  जीवन एहसान यंहा,
माँ का कर्ज उतरेगा कंहा,
माँ के प्रति फर्ज निभाना है हमारा कर्तव्य यंहा,

माँ से ज्यादा कोई दिल के पास है कंहा,
माँ से ज्यादा मेरे दिल पे कोई एहसास है कंहा , 
written by neha singh
(24th of feb 2012)

Sunday 19 February 2012

ख्वाब



जो तुमने कहा वो मैंने सुना था .
 तुम्हारा ही तो मैंने सपना बुना था ..


तुम्हारे साये में महफूज़ थे हम ..
कैसे कहें तुम्हारे ही तो हैं हम..

तुम्हारे बिन है हर सांस अधूरी .. 
तुम्हारे संग है हमारी दुनिया पूरी..


इस तरह बसे हो तुम हमारी रग रग में ..
तुमसे ही तो हर रंग है हमारी जीवन में ..

इस जंहा की हर ख़ुशी तुम्हारे कदमो में ला दें ..
दिल चाहता है तुमपे ये जान भी वार दें ..


उम्मीद से भी ज्यादा पाया है तुमसे प्यार ..
कभी नज़रों से अपनी न देना हमको उतार..

बस अब चाहत नहीं इस धरती आसमान की..
मिली जो हैं तुम्हारे रूप में हमे खुशियाँ सारे  जहाँ की ..

स्वरचित 
नेहा सिंह (२०.फ़रवरी २०१२ )

Sunday 5 February 2012

importance of trees

importance  of  trees

a tree


a tree that once stood alone
a tree that was unstable
and not very strong

a tree that didnt have much of a chance
for a tree for noone did understand

a tree that was so affraid to let go
for that reason
that tree never learned to grow

a tree that never felt the warmth of the sun
or made shadows in the moon
for a tree who could seem to never
blossom into something new

a tree with branches that snaped
with thunderstorms and hurricanes
beating on its back

a tree that never growed up to be all it could be
i wonder what was holding these tree back from
its dreams

destiny tatum
 

Saturday 4 February 2012

अतुल्य भारत

Atulya Bharat.
 



Featuring in this video is a glimpse of cultural heritage of India. 
One of the world’s richest sites of spiritual and religious heritage, 
India is the land known for its heroes and demons, saints and saviours, 
ascetics and seekers. 
Wherever you travel in India, from Himalayan gompas to the beaches of Goa,
 one of the fascinating sights you are likely to witness is a colourful local festival. 
Despite India’s many large cities, the nation still has some untouched and 
overwhelming rural locations, especially in the north - eastern areas. Folk
 arts, vast green paddy fields,
 festinating mountain ranges, golden beaches - all together India is a destination for all



world cup of india



आखिर कब तक इण्डिया के हाथो से वर्ल्ड कप दूर रहता एक दिन उसे इंडिया आना ही था वो कर दिखाया धोनी की टीम ने । और आखिर मैं धोनी ने लास्ट छक्के के साथ इंडिया को वर्ल्ड कप दिलवा ही दिया. धोनी का तो जवाब नहीं 

भारतीय टीम के निवर्तमान कोच गैरी कर्स्टन ने कप्तान महेंद्रसिंह धोनी की जमकर तारीफ करते हुए कहा कि कप्तान ने न सिर्फ उदाहरण पेश करते हुए अगुआई की और मैदान पर अपना सर्वश्रेष्ठ करने की कोशिश की बल्कि टीम के हारने पर उन्हें सबसे ज्यादा दु:ख भी हुआ।

कर्स्टन ने कहा धोनी ने कप्तानी में उदाहरण पेश किया। मैंने कभी ऐसा खिलाड़ी नहीं देखा जो प्रत्येक मैच में जीत के लिए हर संभव कोशिश करता है। वह एक संपूर्ण व्यक्ति है। मैंने कभी उसे अपना आपा खोते हुए नहीं देखा। वह जिम्मेदारी लेना पसंद करता है और जब टीम हारती है तो सबसे अधिक दु:खी वही होता है।

उन्होंने कहा कि वह महान कप्तान है। वह अगले कुछ वषरें तक कप्तान बना रहेगा, इसमें कोई संदेह नहीं है। कर्स्टन ने जब भारतीय क्रिकेट में कोचिंग का पद संभाला तो उन्हें इसका पिछला अनुभव नहीं था। दक्षिण अफ्रीका के इस पूर्व क्रिकेटर ने कहा कि वह ऐसा माहौल तैयार करना चाहते थे, जिसमें टीम खुश रहे और इसकेलिए वह बहुत हद तक स्टार बल्लेबाज सचिन तेंडुलकर पर निर्भर थे।

उन्होंने कहा मानव प्रबंधन बेहद महत्वपूर्ण होता है। आपको क्रिकेटर को अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने का मौका देना होता है। यह प्रत्येक को समझने, उनकी क्षमताओं पर काम करने और उनकी तकनीक को बदले बिना उनमें सुधार करना है। कर्स्टन ने कहा मैं ऐसा माहौल तैयार करना चाहता था जिसमें टीम खुश रहे और टीम की तरह महसूस करे। इस मामले में सचिन मेरेलिए नेतृत्वकर्ता थे।

उन्होंने कहा कि यदि तेंडुलकर 2015 विश्वकप तक खेलते हैं तो यह काफी अच्छा रहेगा लेकिन उन्होंने स्वीकार किया कि तब तक वह उम्रदराज हो जाएँगे और अब वह सोच समझकर आगे की योजना बनाएँगे। 2015 तक सचिन 42 साल के हो जाएँगे। मुझे लगता है कि (यदि वह विश्वकप में खेलते हैं) यह अच्छा रहेगा। वह संन्यास नहीं लेना चाहते क्योंकि वह खेल का लुत्फ उठा रहे हैं। मुझे उन पर गर्व है लेकिन उनकी उम्र बढ़ रही है और आगे उन्हें यह योजना बनानी होगी कि किस मैच में खेलना है और किसमें नहीं।

कर्स्टन ने कहा उनकी तैयारी काफी अच्छी थी और उसने अपनी गेंदबाजी पर कड़ी मेहनत की। युवी के 'मैन ऑफ द टूर्नामेंट' बनने से मुझे उस पर काफी गर्व है। विश्वकप को याद करते हुए इस कोच ने कहा कि उन्हें खुशी है कि टीम ने ग्रुप चरण में जो भी मैच खेला वह करीबी रहा क्योंकि इसने टीम को नाकआउट चरण के लिए तैयार किया।

कर्स्टन ने कहा कि वह भारत आते रहेंगे और भविष्य में किसी आईपीएल टीम को कोचिंग देने पर भी विचार कर सकते हैं। उन्होंने कहा मैं निश्चित तौर पर भारत आने पर विचार करूँगा। कोचिंग के नजरिये से निश्चित तौर पर आईपीएल एक जरिया है। लेकिन मुझे नहीं पता कि मैं क्या करने वाला हूँ।

यह पूछने पर कि क्या उन्हें तुनकमिजाज तेज गेंदबाज एस. श्रीसंथ से निपटने में दिक्कत होती है, जिन्हें लेकर कप्तान महेंद्र सिंह धोनी भी हाथ खड़े कर चुके हैं। उन्होंने कहा पैडी ने श्रीसंथ के साथ काफी समय बिताया है। वह काफी कुशल है। श्री को अपनी निरंतरता पर काम करने की जरूरत है। उन्होंने हमारे लिए लगातार सात टेस्ट खेले हैं और वह अहम था। श्रीसंथ अगर अपने क्रिकेट को अगले स्तर पर नहीं ले जाता तो यह प्रतिभा को व्यर्थ करना है। कर्स्टन ने भारतीय प्रशंसकों को भी धन्यवाद दिया जिन्होंने उन्हें उतना ही सम्मान दिया जितना उनके खिलाड़ियों ने।

भारतीय कोच ने स्वीकार किया कि टीम इंडिया के कोच के रूप में दक्षिण अफ्रीका टीम के विश्वकप से बाहर होने से वह खुश थे लेकिन वह अपने देश के लिए दु:खी थे। कर्स्टन ने अपने देश की मीडिया से भी अपील की कि टीम को चोकर कहना बंद कर दिया जाए।

उन्होंने कहा दक्षिण अफ्रीकी मीडिया जब चोकर का ठप्पा लगाती है तो मुझे चिंता होती है। जब विरोधी मीडिया ऐसा करे तो मुझे समझ में आता है लेकिन आपकी मीडिया को ऐसा नहीं करना चाहिए। मैं उनके लिए दु:खी हूँ। ग्रीम स्मिथ ने कहा यह आसान नहीं है, हम प्रयास कर रहे हैं और यह सच है कि यह आसान नहीं है।



child labour

 
 
एक  गरीब माँ की दर्द भरी कहानी जो की मजदूरी  का एक अंश है

जन्मदिन


जीवन है वरदान माता पिता का.
जीवन है एहसान माता पिता का.
 धन्यवाद् करें हम सब अपने माता पिता का.


मन्नतो से माँगा उन्होंने आपको
जतनो से पला उन्होंने आपको
जन्म लिया तब तब खुशियाँ  मनाई अपरम्पार
तहे दिल से खुदा का किया धन्यवाद
खुदा ने भेजा जो था आपके रूप में उनकी खुशियों का संसार

जन्म लिया तो घर रोशन कर दिया अपना
अब जब बड़े हुए तो घर रोशन करना खुदा का
नन्हे फ़रिश्ते के रूप में पाया था आपको
उंगली पकड़ कर चलना सिखाया था आपको
हाथो से खाना खिलाया था आपको
जंहा के हर गम से बचाया था आपको

खुदा को भी हुआ होगा गम. जब धरती पर भेजा होगा आपको
बड़े जतनो से संभाला होगा चाँद  सितारे ने  अपने आप को
सबने मिलकर दिया होगा सुख, समृधि, शांति, वैभव का वर आपको

सपने सबके सच करना फर्ज है आपका
आँखों में सबकी ख़ुशी की  रोशनी लाना  फर्ज है आपका 
   शिद्दत से दुआ है हमारी यही अपने रब से 
रहे हर रंज-ओ-गम आपके जिस्म-ओ-जान से 

बढती रहे पल पल और हर पल आपकी उम्र की  सीमा 
जिंदगी में सिर्फ चैन, सुकून, ख़ुशी बाँट कर ही जीना  

जियो हजारो साल पर अपनी खुदी को बुलंद करके जीना
चरण स्पर्श से धरती हो जाये धन्य, आकाश भी चाहे कदमो में जीना

खुदा करे मेरे दिल की हर दुआ रंग लाये
और आपका जन्मदिन सारा संसार मनाये, ये  जंहा मनाये, सारी कायनात मनाये 
जमीं के साथ समुद्र, पहाड़, पर्वत, झरने, नदियाँ, पेड़, पोधे, पक्षी और ये  आसमान मनाये  
                                                

                                                        स्वरचित
                                                          नेहा सिंह (१३ मई २०११)

Friday 3 February 2012


कर खुद को बुलंद इतना की .
आसमान छू सको ..
जिंदगी की हर मुश्किल को...
 
सफलता को  से पार कर सको....
अगर तलाश रहे हो .....
मंजिल तो देर न करो
 इस खुबसूरत पल को यूँ गवाया ना करो......
हर रात के बाद .......
होती है जीत ........
 
महकते गुलशन से मन ना भरो.........
अभी और भी है मंजिलें ..........
कोशिश कम ना करो ...........
                         

 
(रूपायन )

geetanjali

 
सूर्य अस्त हो चुका है
उसकी परछाई  धरती का आलिंगन करने आई है
मेरे पात्र  को भरने के लिए बहे जा रहे समय की नदी थम सी गयी है ..
जल संगीत के करुण स्वर की वाणी से,
सांध्य पवन का अंतस  परिपूर्ण   है 
ओह  इस संध्या का छाया अँधेरा मनो मुझे बुला रहा है 
एकांत नीरस पथ पर कोई यात्री दिख नहीं रहा 
वायु शांत है जल तरंगे नदी के तीर पर बैठ सी गयी हैं 
                                (गीतांजली)
मुझे पता नहीं की  घर लौटूंगा की नहीं 
कोई मिलेगा या न मिलेगा , यह मुझे नहीं मालूम 
उस घाट पर एक नन्ही सी नाव में बैठा 
कोई अन्जान आदमी वेदना भरी 
किन्तु आकर्षक बांसुरी बजा रहा है
या की मुझे बुला रहा है ...
(गीतांजली)

 वन पर्वतों में आज गुंजन सुनाई नहीं देता 
सब घरो के द्वार आज बंद हैं ...
निर्जन रास्ते पर तू यूँ अकेला क्यूँ है?
किसकी प्रतीक्षा में बैठा है?
                                (गीतांजली)

अन्तकरण  में आज कैसा कलरव उठा है 
द्वार -द्वार के अवरोध छिन्न हो गए हैं 
आज सावन के बादलों में उन्माद भर गया है..
आज घर के बहार कौन जायेगा?
                                 (गीतांजली )
इस उत्सव में मुझे बांसुरी पर गाने का काम तुने सौंपा है 
इसलिए मेरे जीवन के सब हसी रुदन 
गीतों के स्वरों मैं गूँथ गए हैं ...
                  (गीतांजली)