तुम्हारा ही तो मैंने सपना बुना था ..
तुम्हारे साये में महफूज़ थे हम ..
कैसे कहें तुम्हारे ही तो हैं हम..
तुम्हारे बिन है हर सांस अधूरी ..
इस तरह बसे हो तुम हमारी रग रग में ..
तुमसे ही तो हर रंग है हमारी जीवन में ..
इस जंहा की हर ख़ुशी तुम्हारे कदमो में ला दें ..
उम्मीद से भी ज्यादा पाया है तुमसे प्यार ..
कभी नज़रों से अपनी न देना हमको उतार..
बस अब चाहत नहीं इस धरती आसमान की..
मिली जो हैं तुम्हारे रूप में हमे खुशियाँ सारे जहाँ की ..
स्वरचित
नेहा सिंह (२०.फ़रवरी २०१२ )
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