Sunday 22 January 2012

सुख के सब साथी दुःख में न कोई


 
 सुख के सब साथी
दुःख में ना कोई

 क्या ये  सही है ? अगर हाँ तो लोग ऐसा क्यूँ करते हैं?. आज हर इंसान के  अन्दर इतना   घमंड क्यूँ  भरा हुआ है . क्यूँ  इंसान किसी का साथ उस पल तक देता है जब तक वो खुश होता है जब तक वो हर सुख से संपन्न होता है . तब तक तो  हम उसका साथ देते  हैं .आखिर क्यूँ हम ऐसा करते हैं? क्या हम अपने पैसे पर घमंड करते हैं , क्या हम अपनी सुन्दरता पे घमंड करते हैं , क्या हम अपनी जानकारी पर घमंड करते हैं आखिर किस चीज पर हम घमंड करते हैं, क्या हम ये  भूल चुके हैं जब हम इस धरती पे आये थे तब हम खाली हाथ थे हमारे तन पे  कपडे भी नहीं थे हंमे जो कुछ भी मिला है वो इस   दुनिया ने ही हमे दिया है. शायद वो कपडे जो हमने पहली बार पहने वो इस दुनिया के सबसे गरीब इन्सान ने सिले हो, जो खाना हमने खाया वो खाना एस दुनिया के ऐसे किसान ने उगाया हो जिसके खुद के  पास खाने को खाना न हो फिर भी उसने अनाज उगाया और तब हमने वो खाना खाया लेकिन अगर वो किसान उसी हालत मैं जिस हालत मैं हमारे सामने आ जाता है जिस हालत मैं वो एक खेत मैं काम कर रहा होता है पसीने से लथपथ होता है तो क्यूँ हम उसको पसंद नहीं करते .आखिर ये  सब क्या है. दूसरी बात ये  की अगर हम अपनी खूबसूरती पर घमंड करते हैं तो क्यों क्या हम ये  जानते हैं की हम सुन्दर हैं  और और हम ये  कैसे कह सकते हैं की दूसरा इन्सान सुन्दर नहीं है क्या हम येया जानते हैं जिसे हम सुन्दर कह रहे वो अपने मन  से कितना  कुरूप हो सकता है और जो हमे सुन्दर नहीं लग रहा है वो मन  से कितना सुन्दर है आखिर क्यों क्या है किसी से के पास है इसका जवाब की इन्सान क्यूँ किसी का साथ छोड़ देता है अगर वो दुःख मैं होता है ................


















स्वरचित 
नेहा सिंह

No comments: