Tuesday, 31 January 2012

चुपके से



काश  कि, चुप से झरने का झर -झर बढ़ जाये..
काश  कि ,चुप से झरने का स्वर हमारे मन  में भर जाये ।


काश  कि ,चुप से चाँद की चांदनी घर को  रोशन कर जाये ..
काश  कि ,चाँद की रौशनी हमारे नैनो में भर जाये ।
 



काश  कि  ,चुप से हमारे जीवन का रहस्य गहरा जाये.. 
काश  कि ,वो रहस्य हमारे सपनो में खुल जाये ।

 
काश  कि, चुप से ये गम के बादल ढल जाये.. 
काश  कि, चुप से ये गम ख़ुशी में बदल जाये ।

 


काश  कि ,चुप से हर इन्सान का सुख बढ़ जाये..
काश  कि  , चुप से बदल सुख कि वर्षा कर जाये ।
काश  कि, चुप से राहों का हर पत्थर हट जाये..
काश  कि, चुप से हमारी मंजिल हमे मिल जाये । 
 
काश  कि, चुप से नभ  से एक तारिका टूट कर  गिर जाये..
काश  कि, चुप से वो सबके ख्वाब पूरे कर जाये।
 
काश  कि, चुप से ये धरती पर अम्बर से एक फ़रिश्ता आ  जाये ..
काश  कि, चुप से वो सारे गुनाहों को मिटा जाये ।


काश  कि, चुप से ये सब कुछ हो जाये..
और इस जिंदगी का हर कण ख़ुशी से भर जाये।   



नेहा सिंह

Sunday, 22 January 2012

सुख के सब साथी दुःख में न कोई


 
 सुख के सब साथी
दुःख में ना कोई

 क्या ये  सही है ? अगर हाँ तो लोग ऐसा क्यूँ करते हैं?. आज हर इंसान के  अन्दर इतना   घमंड क्यूँ  भरा हुआ है . क्यूँ  इंसान किसी का साथ उस पल तक देता है जब तक वो खुश होता है जब तक वो हर सुख से संपन्न होता है . तब तक तो  हम उसका साथ देते  हैं .आखिर क्यूँ हम ऐसा करते हैं? क्या हम अपने पैसे पर घमंड करते हैं , क्या हम अपनी सुन्दरता पे घमंड करते हैं , क्या हम अपनी जानकारी पर घमंड करते हैं आखिर किस चीज पर हम घमंड करते हैं, क्या हम ये  भूल चुके हैं जब हम इस धरती पे आये थे तब हम खाली हाथ थे हमारे तन पे  कपडे भी नहीं थे हंमे जो कुछ भी मिला है वो इस   दुनिया ने ही हमे दिया है. शायद वो कपडे जो हमने पहली बार पहने वो इस दुनिया के सबसे गरीब इन्सान ने सिले हो, जो खाना हमने खाया वो खाना एस दुनिया के ऐसे किसान ने उगाया हो जिसके खुद के  पास खाने को खाना न हो फिर भी उसने अनाज उगाया और तब हमने वो खाना खाया लेकिन अगर वो किसान उसी हालत मैं जिस हालत मैं हमारे सामने आ जाता है जिस हालत मैं वो एक खेत मैं काम कर रहा होता है पसीने से लथपथ होता है तो क्यूँ हम उसको पसंद नहीं करते .आखिर ये  सब क्या है. दूसरी बात ये  की अगर हम अपनी खूबसूरती पर घमंड करते हैं तो क्यों क्या हम ये  जानते हैं की हम सुन्दर हैं  और और हम ये  कैसे कह सकते हैं की दूसरा इन्सान सुन्दर नहीं है क्या हम येया जानते हैं जिसे हम सुन्दर कह रहे वो अपने मन  से कितना  कुरूप हो सकता है और जो हमे सुन्दर नहीं लग रहा है वो मन  से कितना सुन्दर है आखिर क्यों क्या है किसी से के पास है इसका जवाब की इन्सान क्यूँ किसी का साथ छोड़ देता है अगर वो दुःख मैं होता है ................


















स्वरचित 
नेहा सिंह

Tuesday, 17 January 2012

मां

 मां जिन्दगी है , साँसे है, धड़कन है, शक्ति है |
माँ धरती है, अम्बर है, सागर है, भक्ति है |
माँ के चरणों  में जन्नत के जैसे अनुभूति है|
माँ सृष्टि में शिशु के जीवन निर्माण की अभिव्यक्ति है |

 

                                               माँ बचपन में बच्चो का सहारा है |
                                               माँ है तो हँसता हुआ बचपन हमारा है|
                                               माँ है तो सारा जग जीवन हमारा है |
                                                माँ से ही तो धरती  पर  जन्नत का नजारा है| 


माँ पालन है, पोषण है, हमारे जीवन का अनुशासन  है|
माँ संसार के हर  कोने  में बिना राजनीति के चलनेवाला प्रेम का शासन है |
माँ हर दिल में, हर नजर में चलने वाला प्रेम का प्रशासन है|

 

                                           माँ भूख है, प्यास है, हर जीवन की आस है |  
                                           माँ भोजन है, पानी है, कपडा है, मकान है|
                                           माँ हम नन्हे परिंदों का बड़ा आसमान है |

 

माँ इस जीवन का अप्रदर्शित प्यार है|
माँ है तो सबकी आँखों में इंतजार है |
माँ है तो सभी के जीवन में दुलार है|

 

                                                     माँ  एक जीवन को जीवनदान  है |
                                                     माँ से ही दिल के धडकने का एहसास है |
                                                    माँ है तो  जीवन में खुशियों का अरमान  है |
                                                    माँ से ही  दुनिया देखने का मिलाता वरदान है   |

 

माँ के साये में हमारी सुरक्षा है|
माँ न हो तो जीवन मैं असुरक्षा है |
माँ सुरक्षा है अगर हमारे साथ है|
 माँ के बिना तो हर पल अनाथ है|
                                                    
  माँ के जैसा दुनिया मैं कोई हो नहीं सकता|
               माँ के आशीर्वाद का भगवान को भी ज्ञान है|
          माँ का दर्जा भगवान से भी ऊँचा है|
                         माँ के सामने भगवान का स्थान कंहाँ पंहुचा है|

                              माँ को कभी कोई बाँट नहीं सकता |
                      भगवान भी माँ के आशीर्वाद को टाल नहीं सकता| 


माँ के सामने सभी तीर्थ व्यर्थ है 
माँ है तो संसार में हर व्यक्ति समर्थ है|
माँ के बिन तो येया संसार व्यर्थ  है |
माँ से ही पृथ्वी , अम्बर, सागर प्रकृति, और इस दुनिया का हर अर्थ है| 



                                            स्वरचित कविता  
                                               नेहा सिंह
                                             

Monday, 16 January 2012

radio script on ragging

radio script
पात्र: ६
तीन लड़की :अनु , प्रिया, ऋतू (उम्र २१)
एक लड़की: रिया (उम्र१८)
एक लड़की: कशिश (उम्र२१)
ऑफिसर: मेधा (उम्र४०)
म्यूजिक: मन का रेडियो बजने दे जरा  (१० सेकंड )

स्वर: कॉलेज का शोरगुल (बेल बजने की आवाज ,हाय! ,हेलो !,बच्चो के चिल्लाने की आवाज  )
अनु: चलो प्रिया, ऋतू मेन गेट पर चलते हैं आज नयी लड़कियां आएँगी
ऋतू: चलो, चलो  टाइम पास करेंगे 
रिया: आज तो कॉलेज में पहला दिन है पता नहीं क्या होगा?
 कहीं  रेगिंग तो नहीं होगी ना?
अरे ! कुछ नहीं होगा मैं फालतू मे डर रही हूँ (धीरे स्वर में  अपने आप से बात करने के अंदाज में )
ऋतू: अरे देखो देखो नयी मछली आ रही है, चलो! मजा लेते हैं |(धीरे धीरे ताकि कोई और ना सुन ले )
अनु, प्रिया: चलो यार! मजे आयेंगे (तेज आवाज में)
अनु: ए लड़की! इधर आ (तेज आवाज में या डराने के अंदाज में )
रिया: कौन मैं?(धीरे स्वर में)
ऋतू : हाँ तू , सुना नहीं ! चल इधर आ (तेज आवाज में )
रिया : जी! क्या काम है?(धीमे स्वर में )
अनु: ओहो! बड़ी आई काम वाली(चिढाने  के अंदाज में )
प्रिया : तुझे ये पता है, हम कौन हैं?(तेज आवाज  में)
रिया: जी! नहीं (धीरे से )
ऋतू : तेरे सिनिअर, चल ! गुड मोर्निग कर (इतराते हुये )
रिया: गुड मोर्निंग! (धीरे से )
अनु : अरे इसका सूट तो देखो! लगता है सितारे की दुकान हो(चिढाते हुए )
प्रिया: अरे ! इअररिंग्स तो देखो , लगता है स्पेशल बरेली से मंगवाया है (चिढाते हुए)
प्रिया, अनु: झुमका गिरा रे बरेली के बाजार में (गाते हुए पर चिढाने के अंदाज में )
अनु: ऐसा लगता है , मैडम  कॉलेज नहीं रेम्प पर आई हैं
ऋतू: चल अब मोडलिंग  तो करके दिखा
रिया: म म म म मोडलिंग वो  तो मुझे नहीं आती
प्रिया: तुझे देख के तो नहीं लगता है (इतराते हुये)
स्वर चलने का
रिया: अरे ! ये क्या कर रही हैं आप मेरा बैग छोड़िए (डर कर)
अनु: नहीं मिलेगा पहले मोडलिंग करके दिखा
प्रिया: हाँ जब तक मोडलिंग नहीं करेगी हम तेरा बैग नहीं देंगे |(डराने के अंदाज में)
रिया:प्लीज मुझे परेशांन मत करिए (रोते हुए)
अनु: ओह तो मैडम परेशांन  हो रही हैं| (चिढाते हुए )
स्वर : हसने का ......व्यंग
सीन २........



कशिश: अरे तुम क्यूँ रो रही हो (प्यार से )
रिया: ये लोग मुझे परेशान कर(रोने की आवाज)
कशिश:बस में सब कुछ समझ गयी तुम चुप हो जाओ (प्यार से )
कशिश: क्यूँ तुम लोग इसे परेशान क्यूँ कर रही हो?
ऋतू: तू बड़ी आयी इसकी शुभ चिन्तक (इतराते हुए )
प्रिया: इसे तो बाद में देख लेंगे , पहले तुझे देख लें (लड़ने के अंदाज में )
कशिश: क्यूँ? क्या कभी क्लास में नहीं देखा मुझे|
अनु: तू कुछ ज्यादा बोल रही है (लड़ने के अंदाज में )
कशिश: इतनी देर से तुम भी कुछ ज्यादा ही बोल रही थीं  (लड़ने के अंदाज में)
ऋतू, अनु: अच्छा! तो अब तू बोलेगी(घमंड से)
कशिश: हाँ! क्यूंकि तुम लोग मजाक मजाक में एक जुर्म कर रही हो(तेज आवाज में)
प्रिया: अच्छा! तू बड़ी आई कानून वाली (इतराकर)
स्वर: हसने का
ऋतू: देखते हैं, तू क्या कर लेगी हमारा (लड़ने के अंदाज में )



कशिश: अच्छा! तो नहीं मानोगी तुम(घमंड से)
प्रिया और अनु: नहीं मानेगी , बोल!
कशिश : तो रुको दो मिनट |
स्वर फ़ोन नंबर मिलाने का
स्वर :  ट्रिंग....................... ट्रिंग ................
स्वर: फ़ोन में से आवाज आएगी
 मेधा: हेल्लो! एंटी रेगिंग कमिटी हम आपकी क्या सहायता कर सकते हैं?
कशिश : मैडम! क्या आप कॉलेज के मेन गेट पर आ सकती हैं?
मेधा : हम आते हैं, "प्लीज वेट फॉर फियु मिनट"
स्वर: पोलिस साईरन
अनु,प्रिया,ऋतू: यार! पोलिस आ रही है, चलो यंहा से निकलते हैं (फुसफुसाहट की आवाज में)
स्वर : भागने का
कशिश: अब क्यूँ भाग रही हो ? मैडम देखिये ये रिया को परेशां कर रही हैं मेधा: क्या बात है, बच्चो! क्यूँ परेशां कर रही थीं ?(तेज स्वर)
अनु,प्रिया,ऋतू: मैडम! ह ह ह हम म म हमने कुछ नहीं किया .
मेधा: देखो! बच्चो रेगिंग एक क़ानूनी अपराध है और तुम नहीं जानते की रेगिंग से  , इस लड़की के साथ तुम्हारा भविष्य भी ख़राब होगा।
 वो तो शुक्र है इस लड़की ने तुम्हारे खिलाफ ऍफ़. आई . आर  नहीं की
 वरना तुम लोग अभी यंहा नहीं पुलिस स्टेशन के किसी कोने में होती, क्यूंकि सुप्रीम कोर्ट के एक्ट 1999 के तहत रेगिंग लेने वाले विद्यार्थियों को तीन साल का कारावास या  50000 का जुरमाना हो सकता है,|
और उसके बाद न तो तुम आगे padh  सकते  थे और  न ही तुम्हे नौकरी मिलती,और  तुम्हारे परिवार पर इसका कितना बुरा असर पड़ता ।
  तुमने जो सोचा भी नहीं होगा वो सब तुम्हारे साथ होता ।
अनु,प्रिया,ऋतू: सौरी  मैडम ! | (dukhi man  से )
मेधा: सौरी  मुझे नहीं इस लड़की से बोलो |
अनु,प्रिया,ऋतू: सौरी सिस्टर! अब हम ऐसा कभी नहीं करेंगे
"नाओ वी आर फ्रेंड्स  "
मेधा : ये  हुयी न बात चलो अब सब क्लास में जाओ

रेगिंग एक क़ानूनी अपराध है और इसे सहना भी " तो आवाज उठाइए और  कॉलेज को रेगिंग फ्री बनाइये  "
बिलकुल सही दोस्तों हम लोगो को कोई भी अपराध नहीं सहना चाहिए फिर चाहे वो रेगिंग हो या और कोई और अपराध हमे अपने हक के लिए आवाज उठानी चाहिए इसी के साथ आपकी दोस्त नेहा आपसे इजाजत लेती है सुनते रहिये 90 .4 des ऍफ़. एम्.
song (sada haq ethe rakh )