Friday 15 June 2012

नारी के आभूषण

हमारे  देश में नारी को देवी का दर्जा दिया जाता है पर क्यूँ इसकी  वजह है नारी के आभूषण उनके द्वारा हम क्यूंकि उन आभूषण के द्वारा उनके  अर्थ भी समझाते हैं।
इसलिए प्रत्येक नारी को चाहियेकी आभूषण धारण करने के साथ वो उन आभूषण के अंतर्गत निहित अर्थ सन्देश को भी हृदयगम करें, ताकि उस आभूषण का नाम सार्थक हो सके।




पान या मेहँदी - लाज की लाली बनाये रखे ।


काजल - शील का जल नैनों में  रखे ।


नथ  - मन को नाथे , नियंत्रित रखे , जिससे नाक ऊँची रहे।


बिंदी - बुराई को   छोड़ दे ।


टीका - ध्यान रखे की यश का टीका ही लगे कलंक का नही ।


वन्दनी -  पति एवं  गुरुजनों की  वंदना करे ।


पत्ती -  अपनी  तथा  की लाज रखे।


कर्णफूल - कानो से   दूसरो की प्रंशसा सुने ।


हंसली- हमेशा हसमुख रहे ।


कंठहार - पति के गले का हार बने।


कड़े - किसी से  कड़ी बातें न बोले ।


छल्ले - किसी से छल  न करे।


पायल -  सभी बड़ी बूढी औरतो के चरण  स्पर्श करे । 


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