Friday 25 October 2013

सुरों के सरताज को अलविदा
तुम संगीत के सागर हो तुम्हारे संगीत के प्यासे हम
आदरणीय मन्ना डे

Sunday 5 May 2013

दिल्ली क्यों बेदिल


दिल्ली क्यों हुयी इतनी बेदिल

की लाडली बेटी की साँसे हो गयी बोझिल

देश की राजधानी बन गयी हैवानों का शहर

कभी अपने तो कभी पुलिस ढाती है कहर.
कुछ महीने पहले की ही तो बात है जब हम ने दामिनी के  दर्द को बांटा था और घबरायी सरकार ने जनता की खौफ़ से काफी देर के बाद , अंतिम साँसे गिनती उस  बहादुर लड़की को सिंगापूर भेज कर उसके मरने की मुक्कमल व्यवस्था कर दी थी ,और फिर तो उसके बाद लगातार हवस के हैवानों का  कहर दिल्ली पर टूटने लगा और संवेदनहीनता का आलम ये की रिश्तों की सारी बंदिशों को लांघते हुए कभी पिता ने अपनी बेटी को हवस  का शिकार बनाया तो कभी भाई ने अपनी बहन को , हद तो तब हो गयी जब उन पर पाशविक अत्याचार भी किये गए , ये कैसी मानसिक विकृति आ गयी है समाज में  ,शायद जानवर ही हम इंसानों से बेहतर हैं जिनके अन्दर मालिक के लिए  वफादारी भी  होती है, और संवेदना भी .
एक बार फिर देश में वही कहानी दुहरायी जा रही है और फिर एक लाडली जीवन और मौत के बिच झूल रही है. कितनी संवेदना जाग उठती होती है न हमारे अन्दर , जब हमें इस तरह की घटनाएँ झकझोर देती हैं और हाथों में तख्तियां लिए उतर पड़ते हैं हम अपनी आवाज़, गूंगी और बहरी सरकार तक पंहुचाने  के लिए, लेकिन हम कभी नहीं सोचते की , जिस संवेदना के वशीभूत हम अपना आवेश और गुस्से की भड़ास सड़कों पर निकालते हैं वह  सरकार का कुछ भी नहीं बिगाड़ पाती  और सरकार  में बैठे नुमाइंदों का  एक बड़ा वर्ग  सारी जनता को मात्र एक भेड़ों की जमात समझ कर उससे  खेलता रहता है और यहाँ हम फिर एक बार गुमराह हो जातें हैं कभी दलीय राजनीति कभी जात की राजनीति और कभी धर्म के उन्माद में डूब कर और तब हम मुद्दे को ही भूल जातें हैं और फिर पुनः दरिन्दे हैवानियत की हदों को पार कर देश के दिल को निकाल कर उसे बेदिल करते रहते हैं. क्या कोई जान पायेगा , कभी उस परिवार की पीड़ा को , जो आजीवन इस दर्द को साथ लिए जीतें हैं. रोज अपने समाज के ही दिए जख्म से आहत होते रोज क़तरा क़तरा मरते हैं. हुंह ! देश के नेता कहतें हैं की हमारी भी बेटियां हैं, हम समझते हैं जनता का दुःख और दर्द , लेकिन जनाब आप कैसे समझेंगे उन बेक़स और जीने के लिए रोज संघर्ष करती जनता का दर्द काश, आपने अपने इर्द गिर्द फैले संगीनों को हटा कर एक आम आदमी बन के कभी जिया होता आपकी बेटियां बिना कमांडो के बाज़ार में कभी निकली होती तो पता चलता की कैसे इस देश में एक माँ अपनी बेटी को बचाने के लिए रोज संघर्ष करती है और उनकी रक्षा के लिए बना कानून, देश के नेताओं और अधिकारियों की कैसे चाकरी करता है.
हमारे लोकतंत्र की सशक्त आवाज़ हैं ये देश की सर्वोच्च पदों पर बैठी कई महिलाएं चलिए हम इनका नाम भी आपको बता देतें हैं ,चाहे देश का सर्वोच्च सदन लोक सभा हो या विधान सभा  राष्ट्रपति की कुर्सी हो या मुख्यमंत्री की चाहे हम बात करें देश के अन्य सर्वोच्च पदों की चाहे महिला आयोग हो या अन्य सरकारी संस्थाओं के महत्वपूर्ण पद सारे जगहों आज इनका राज है चाहे सोनिया गाँधी हो या ममता बनर्जी चाहे सुषमा स्वराज हों या ममता शर्मा,शिला दीक्षित हो या मायावती,जयललिता हो या उमा भारती ,गिरिजा व्यास हों या अम्बिका सोनी , मीरा कुमार हो या किरण वालिया ,शायद इन महिला नेताओं को या तो अपनी शक्ति का ही  ख्याल नहीं है या फिर मौन रहना इनकी कोई राजनैतिक मजबूरी और अगर एसा नहीं है तो फिर क्या कारण है देश में नहीं थम रहा बलात्कार का सिलसिला क्यों इन नारी शक्तियों की भुजाएं क्रोध से नहीं फडकती क्यों इनके रहते देश की हर महिला आज अपने आप को निरीह और अबला समझती हैं. ये वो सारे सुलगते सवाल हैं जिसका जवाब केवल देश की महिलायें ही नहीं बल्कि पूरा देश मांग रहा है ,की आखिर तुमने हमारे भोलेपन हमारे समर्पण और निश्छलता का ये कैसा सिला दिया है.

new blog

spreadsmile21.blogspot.com
This is my new blog address
Please follow me.........
Thanx to my all friends

Tuesday 30 April 2013

भारतीय मूल की महिला को मिली 'दुनिया की बेस्‍ट जॉब




ब्रिटेन में भारतीय मूल की एक महिला को दुनिया की सबसे अच्छी नौकरियों में से एक कही जाने वाली पश्चिम ऑस्ट्रेलिया टेस्ट मास्टर (खाना चखना) के लिए चुना गया है. उन्हें इस नौकरी के लिए 6 लाख आवेदकों में से चुना गया है.
लिसेस्टर के रूशी मेड में पली-बढ़ी आशा पटेल को इस नौकरी के लिए 24 अन्य लोगों के साथ चुना गया है, जिसके तहत उन्हें देश भर में सबसे अच्छे बने खाने की तलाश करने और सबसे अच्छे बार और रेस्‍टोरेंट की पहचान करनी होगी.

इस नौकरी को ऑस्ट्रेलिया की पर्यटन वेबसाइट ने दुनिया की सर्वश्रेष्ठ नौकरियों में से एक करार दिया है.


Monday 22 April 2013

जादुई जंगल




 आज (22 अप्रैल) पृथ्वी दिवस है। आज के दिन दुनिया भर के लोग पृथ्वी के बारे में जागरूकता फैलाने के साथ-साथ इसके संरक्षण के उपाय करते हैं। इस मौके पर हम सभी को पृथ्वी और उसकी प्राकृतिक संपदा को बनाए रखने की जरूरत है। पृथ्वी पर कितना सौंदर्य है, उसकी एक बानगी दुनिया के कुछ जादुई जंगलों को पेश कर दी जा रही है, उम्मीद है आप पसंद करेंगे।

क्रूक्ड फॉरेस्ट, पोलैंड 
पोलैंड के क्रूक्ड फॉरेस्ट उसकी सुंदरता में चार चांद लगाते हैं। इस फॉरेस्ट में पाइन के वृक्षों को 1930 में लगाया गया। पेंडों की घुमावदार आकृति मनुष्य द्वारा बनाई गई है लेकिन घुमावदार आकृति की पद्धति और पेड़ों की घुमावदार आकृति देने के उद्देश्य के बारे में कोई जानकारी नहीं है। पृथ्वी दिवस : जानें, दुनिया के कुछ जादुई जंगलों के बारे में
सागानो बम्बू फॉरेस्ट, जापान

सागानो बम्बू फॉरेस्ट क्योटो प्रांत के पश्चिमी क्षेत्र आर्शियामा जिले में स्थित है। यह वन क्षेत्र 16 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इसकी झुरमटों से होकर बहने वाली हवा एक अद्भुत आवाज उत्पन्न करती है जिसे जापान की सरकार ने संरक्षित आवाज घोषित किया है। पृथ्वी दिवस : जानें, दुनिया के कुछ जादुई जंगलों के बारे में
कैडो लेक, अमेरिका 

कैडो लेक, टेक्सास और लूसियाना की सीमा के बीच स्थित है। कैडो लेक का नामकरण एक अमेरिकी संस्कृति कैड्डोंस अथवा कैडो के नाम पर किया गया है। इस क्षेत्र में कभी कैडो लोग रहा करते थे। यह क्षेत्र 25,400 एकड़ में फैला है। इसे रैमसार संधि के तहत संरक्षित रखा गया है। यहां दुनिया के सबसे लंबे साइप्रस के वृक्ष भी हैं। 

पृथ्वी दिवस : जानें, दुनिया के कुछ जादुई जंगलों के बारे में
इंडो नेशनल फॉरेस्ट, अमेरिका

यह नेशनल फॉरेस्ट 1,903,381 में फैला हुआ है। इस क्षेत्र में कैलिफोर्निया एवं नेवादा के ह्वाइट माउंटेंस और पूर्वी सीएरा के हिस्से भी शामिल हैं। नेशनल पार्क में नौ निर्जन क्षेत्र भी स्थित हैं। यही नहीं, यहां दुनिया का सबसे प्राचीन वृक्ष भी मौजूद है। 

Saturday 6 April 2013


क्या कहूँ कहा ना जाएँ
आँखों से मेरी आँसू हैं आए
तक़दीर ने क्या क्या दिन दिखाए
फिर भी ये कदम रुकना ना चाहे
ये तो बस चलना ही चाहे चलना ही चाहे
बस आगे बढ़ने कि ख्वाहिश ही दिल में आए
दिल तो बस यही गीत गुनगुनाये
जीवन चलने का नाम चलते रहो सुबह शाम.....

Sunday 27 January 2013

भारत ने पानी के अंदर से छोड़ी मिसाइल

भारत ने रविवार को पानी के अंदर से छोड़ी जाने वाली न्यूक्लियर क्षमता वाली बैलेस्टिक मिसाइल का टेस्ट किया। इसे बंगाल की खाड़ी के किसी किसी प्लैटफॉर्म से छोड़ा गया। अब भारत विश्व के उन देशों की कतार में खड़ा हो गया है जिनके पास यह टेक्नॉलजी पहले से ही थी। रूस, अमेरिका, चीन और फ्रांस के पास यह क्षमता पहले से ही थी।

भारत के पास अभी तक जमीन और हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल की तकनीक थी। इस टेस्ट के बाद अब पानी के अंदर से भी मिसाइल छोड़ने की क्षमता हासिल कर ली गई है। इस मिसाइल को किसी भी सबमैरीन (पनडुब्बी) से छोड़ा जा सकता है।

डीआरडीओ के चीफ वी. के. सारस्वत ने टेस्ट एरिया के किसी अज्ञात स्थल से मीडिया को बताया कि मीडियम रेंज की के-5 बैलेस्टिक मिसाइल का टेस्ट आज सफलतापूर्वक कर लिया गया। इस दौरान टेस्ट फायरिंग के सभी पैरामीटर्स का पालन किया गया